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पव॑स्व॒ मधु॑मत्तम॒ इन्द्रा॑य सोम क्रतु॒वित्त॑मो॒ मद॑: । महि॑ द्यु॒क्षत॑मो॒ मद॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

pavasva madhumattama indrāya soma kratuvittamo madaḥ | mahi dyukṣatamo madaḥ ||

पद पाठ

पव॑स्व । मधु॑मत्ऽतमः । इन्द्रा॑य । सो॒म॒ । क्र॒तु॒वित्ऽत॑मः । मदः॑ । महि॑ । द्यु॒क्षऽत॑मः । मदः॑ ॥ ९.१०८.१

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:108» मन्त्र:1 | अष्टक:7» अध्याय:5» वर्ग:17» मन्त्र:1 | मण्डल:9» अनुवाक:7» मन्त्र:1


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सोम) हे सर्वोत्पादक परमात्मन् ! आप (मधुमत्तमः) आनन्दस्वरूप और (क्रतुवित्तमः) सब कर्मों के वेत्ता हैं, (द्युक्षतमः) दीप्तिवाले हैं, (महि, मदः) अत्यन्त आनन्द के हेतु (मदः) हर्षस्वरूप आप (इन्द्राय) कर्मयोगी को (पवस्व) पवित्र करें ॥१॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में परमात्मा से शुभ कर्म्मों की ओर लगने की प्रार्थना की गई है कि हे शुभकर्मों में प्रेरक परमात्मन् ! आप हमारे सब कर्मों को भली-भाँति जानते हुए भी अपनी कृपा से हमें शुभ कर्मों की ओर प्रेरित करें, जिस से कि हम कर्मयोगी बनकर आपकी समीपता का लाभ कर सकें ॥१॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सोम) हे सर्वोत्पादक परमात्मा ! भवान् (मधुमत्तमः) आनन्दस्वरूपः (क्रतुवित्तमः) सर्वकर्मवेत्ता च (द्युक्षतमः) दीप्तिमान् (महि, मदः) आनन्दहेतुः (मदः) हर्षस्वरूपः (इन्द्राय) कर्मयोगिनं भवान् (पवस्व) पुनातु ॥१॥